लक्ष्मी जी की आरती अर्थ सहित
हर शुक्रवार को सुबह और शाम लक्ष्मी जी की आरती करने से सुख, संपत्ति और ऐश्वर्य मिलता है। सभी तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। लक्ष्मी जी की आरती तो कई लोग करते हैं, लेकिन बिना अर्थ जाने और अशुद्ध उच्चारण की वजह से उसका फल नहीं मिल पाता है। लक्ष्मी जी की आरती 16 पंक्तियों की है। जिनमें मां लक्ष्मी जी की उत्पत्ति से लेकर उनकी कृपा से मिलने वाले फल का वर्णन है। इस आरती में लक्ष्मी जी की महिमा और उनके गुणों का गान किया गया है। आरती का अर्थ जानने के बाद देवी लक्ष्मी जी का महत्व और प्रभाव के बारे में अच्छे से पता चल जाता है। इससे मन में भक्ति-भाव जागृत होते हैं। हम आपको लक्ष्मी जी की आरती और उसकी हर लाइन का अर्थ बता रहे हैं। जिससे लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहे।
ॐ जय लक्ष्मी माता
मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता..
अर्थ - हे लक्ष्मी मां, भगवान विष्णु हर दिन आपका ही ध्यान करते हैं। आपको प्रणाम है।
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम जग की माता |
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता..
अर्थ - आप उमा, रमा और ब्रह्माणी के रुप में जगत का पालन-पोषण करती हो। सूर्य-चंद्रमा भी आपका ध्यान करते हैं और नारद ऋषि भी आपकी स्तुति गाते हैं। आपको प्रणाम है।
दुर्गारुप निरंजन,
सुख संपत्ति दाता |
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
अर्थ - आप मां दुर्गा का ही रुप हैं और सुख-संपत्ति देने वाली हो। जो भी आपका ध्यान करता है और पूजा करता है उसे ऋद्धि, सिद्धि और धन सब कुछ मिल जाता है। आपको प्रणाम है।
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता |
कर्मप्रभाव प्रकाशनी,
भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
अर्थ - पाताल में भी आपका निवास है, आपकी कृपा हर लोक में है। आप हर तरह का शुभ और मंगल करने वाली हो। आपकी प्रेरणा से ही अच्छे कर्म हो पाते हैं और उनके प्रभाव से भवनिधि की प्राप्ति भी हो जाती है। आपको प्रणाम है।
जिस घर तुम रहती हो ,
ताँहि में हैं सद् गुण आता |
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
अर्थ - जिस घर में आपका निवास हो जाता है वहां हर तरह के मांगलिक कार्य होते हैं। सब कुछ शुभ हो जाता है। हर असंभव काम भी पूरा हो जाता है। मन में किसी भी तरह का डर और शंका नहीं रहती। आपको प्रणाम है।
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता |
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
अर्थ - आपके आव्हान और पूजा के बिना किसी भी तरह के यज्ञ और मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। तुम्हारी कृपा के बिना कोई राजसिक सुख नहीं पाता यानी किसी को भी वस्त्र नहीं मिलते, अच्छा भोजन नहीं मिलता और तुम्हारी कृपा से हर तरह का वैभव और सुख मिल जाता है। आपको प्रणाम।
शुभ गुण मंदिर
सुंदर क्षीरनिधि जाता |
रत्न चतुर्दश तुम बिन ,
कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
अर्थ - समुद्र मंथन से आपकी उत्पत्ति हुई है। आपका मंदिर यानी आपका लोक, जहां आप निवास करती हो वो भव्य और सुंदर है। आपकी कृपा से ही इस पृथ्वी पर रत्न और मणियां उपलब्ध है। आपकी कृपा के बिना ऐसा नहीं हो पाता। आपको प्रणाम है।
महालक्ष्मी जी की आरती ,
जो कोई नर गाता |
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
अर्थ - आपकी आरती जो भी कोई गाता है उसे हर तरह का आनंद और आध्यात्मिक सुख मिलता है और उस मनुष्य के हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। आपको प्रणाम है।
🌺 जय श्री लक्ष्मी माता 🌼
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